मोरबी के रामधन आश्रम में परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल के तत्वाधान में इंडस्ट्रीयल सेफ्टी एन्ड हैल्थ विभाग ने एक सेमीनार का आयोजन किया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में डिप्टी डायरेक्टर एम.सी. जिंजाला जी भी शरीक हुए।
सेमीनार में परमाणु सहेली ने बताया कि,
भारत में परमाणु बिजलीघरों की स्थापनाओं के मार्ग में हालांकि चैलेंजेज हैं, लेकिन मोरबी में तो ये चैलेंजेज नहीं भी है। कारण- पहला चैलेन्ज: सम्बंधित बिजनिस लॉबीज़ (परमाणु सहेली के जन-जागरूकता कार्यक्रमों व प्रयासों के फलस्वरूप तमिलनाडु के कुडनकुलम में अम्बानी ग्रुप को वर्ष 2018 में 1000 मेगावाट के परमाणु बिजलीघर की स्थापना का कार्य प्राप्त हुआ है। स्पष्ट है कि, मोरबी में भी 500-500 मेगावाट के स्मार्ट मॉड्यूलर रिएक्टर्स की स्थापना का कार्य भी अम्बानी ग्रुप ही करेंगे। अभी भारत की पर कैपिटा बिजली सप्लाई क्षमता 1100 यूनिट है, जबकि चायना की यह 5000 यूनिट तक है, और जापान, फ्रांस, रसिया, जर्मनी व अमेरिका की यह 8000 यूनिट से लेकर 13000 यूनिट तक है। बिजली उत्पादन योजना के mutabik भारत को अपने सभी संभव स्त्रोतों को उपयोग में लाते हुए औसतन 5000 यूनिट प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष बिजली उत्पादन तक पहुँचना है। 1 यूनिट के औसत उपभोग से 100 रूपये के बराबर का आऊटपुट आता है। अतः अडानी ग्रुप के थर्मल व सौलर पॉवर प्लांटों से बिजली उत्पादन में भारत सरकार द्वारा यदि सब्सिडी दी जाती है तो यह भी देश के वास्तविक व सतत विकास में शुद्ध लाभ की बात है। इस प्रकार पहला चैलेन्ज "बिजनिस लॉबीज" का मोरबी में नहीं है।
वर्ष 2015 में जापान-भारत ने इसी सम्बन्ध में समझौता भी किया है। गांधीनगर में अम्बानी ग्रुप के सीईओ के साथ मीटिंग से यह मालूम चला कि, पब्लिक विरोधों के डर से अम्बानी ग्रुप इसमें गंभीरता पूर्वक शामिल नहीं हो रहे हैं।
दूसरा चैलेन्ज: एंटी एक्टिविस्ट्स का है। तीसरा चैलेन्ज: राजनैतिक मंशा का है। परमाणु सहेली अपने कार्यक्रमों से आम से लेकर ख़ास जनता में जागरूकता कर सकारात्मक वातावरण स्थापित कर देने में सक्षम है- ऐसे में, क्षेत्रीय जनता राजी, यहां के इंडस्ट्रियलिस्ट्स राजी, सम्बंधित बिजनिस लॉबीज राजी, तो फिर जाहिर सी बात है कि राजनैतिक मंशा भी सकारात्मक होगी ही।
भारत देश का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम भी बराबर गति से आगे बढे तो, भारत अपने 500 जिलों में बेसलोड की सतत बिजली सप्लाई हेतु 500-500 मेगावाट के स्मार्ट मॉड्यूलर रिएक्टर बनाने की क्षमता रखता है। यदि मोरबी अपने यहां 500-500 मेगावाट की दो इकाईयां लगाने में सफल हो जाता है तो, समूचे भारत में अंबानी जी 500-500 मेगावाट के स्मार्ट मॉड्यूलर रिएक्टर स्थापित कर सकेंगे। इससे भारत के विश्वसनीय विकास में बहुत बड़ा बून आ सकेगा। करोडो लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष आजीविका के माध्यम प्राप्त हो सकेंगे। सौलर पॉवर प्लांट्स की योजना के मुताबिक़- गुजरात राज्य में नर्मदा सरदार सरोवर प्रोजेक्ट के तहत जो 80,000 किलोमीटर लम्बी नहरें खिंचेंगी और राजस्थान में भी जल वितरण की पांच योजनाओं के तहत 30,000 किलोमीटर लम्बी नहरें खिंचेंगी; इन नहरों के ऊपर-ऊपर सोलर पॉवर प्लांट्स की स्थापना होनी होगी। इससे तीन तरह के फायदे होंगे। पहला, नहरों से खेतों तक पानी को भेजा जा सकेगा; दूसरा, नहरों में बहता हुआ पानी कम उड़ पायेगा; तीसरा, इन सौलर प्लांटों को बनाने के लिए अलग से जमीन की जरूरत नहीं पड़ेगी। और इन प्लांटों की स्थापना, प्रचालन व रक्षण-अनुरक्षण से कई लाख परिवारों को रोजगार व नौकरियां मुनासिब हो सकेंगी। जल व बिजली जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की सहज, सुरक्षित व व्यापारिक दृष्टि से प्रतिस्पर्धात्मक व्यवस्थाएं ही देश को सच्चे अर्थों में समृद्ध व विकसित बना सकती है। प्रजातांत्रिक भारत की यह सर्वोत्कृष्ट अर्थव्यवस्था हो सकेगी। चायना, जापान, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, रसिया और अमेरिका जैसे समृद्ध देश इस बात के पुख्ता उदाहरण हैं। परमाणु सहेली के जीवन का तो यही उद्देश्य है कि- भारत की समग्र बजली उत्पादन योजना (औसतन, 5000 यूनिट प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष) के मार्ग से सभी चैलेंजेज को हटाना है और राजस्थान को रेगिस्तान होने से बचाना है । अर्थात वहां पानी से सम्बंधित पांचो प्रोजेक्ट्स पर कार्य प्रारम्भ करवाना है । इसके लिएपरमाणु सहेली ने समग्र जन-जागरूकता का मार्ग चुना है।
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