top of page
Writer's pictureAkshvi Aware

भारत की चार महत्वपूर्ण योजनाओं का समयान्तर्गत क्रियान्वयन बनाम भारत का सर्वांगीण विकास



दिनांक: 08.01.2016

अहमदाबाद के राजस्थान हिन्दी हाई स्कूल शाहीबाग रोड में डॉ. नीलम गोयल, जो कि, परमाणु सहेली के नाम से भी जानी जाती है, ने छात्र-छात्राओं व शिक्षकों के साथ एक सेमीनार का आयोजन किया। गौरतलब है कि डॉक्टर नीलम गोयल ने अर्थशास्त्र में शौध किया है। ये विश्व की पहली और एक मात्र व्यक्ति हैं, जिन्होंने अर्थशास्त्र में विज्ञान व तकनीकि की महत्ता तथा भारत के सर्वांगीण विकास की चार महत्वपूर्ण योजनाओं के सन्दर्भ में वास्तविक संसार के ज्ञान के गूढ़ रहस्यों को जाना है। राजस्थान विश्वविद्द्यालय ने वर्ष 2008 में इन्हे पीएचडी की उपाधि प्रदान की है।

डॉक्टर नीलम गोयल ने राजस्थान हिन्दी हाई स्कूल में सेमीनार के दौरान बताया कि भारत के चहुँमुखी विकास के तीन आधारभूत स्तम्भ हैं- कृषि, उद्द्योग-धंधे व सेवायें।

इन तीनों स्तम्भों की नींव है- ऊर्जा (मुख्यतया, विद्युत ऊर्जा)

भारत की चार महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं - पहली, भारत की सभी नदियों का अन्तर्सम्बन्ध; दूसरी, भारत में प्रतिवर्ष, प्रति-व्यक्ति औसतन, 5000 यूनिट विद्ध्युत का उत्पादन; तीसरी, भारत में गाँवों से गाँवों तक, गाँवों से कस्बों तक, कस्बों से कस्बों तक, कस्बों से शहरों तक व शहरों से राजधानियों तक स्थिर व विश्वसनीय राज मार्गों की व्यवस्था; चौथी,  भारत की 1600 लाख हेक्टेयर उपजाऊ भूमि पर स्वदेशी उत्कृष्ट केन्द्रीयकृत कृषि प्रबंधन।

डॉ. नीलम गोयल ने बताया कि,  10 से 25 वर्ष पूर्व वाली भारत के सर्वांगीण विकास की इन चारों महत्वपूर्ण योजनाओं का यदि समयान्तर्गत सफलतापूर्वक क्रियान्वयन हो रहा होता तो;

आज समग्र भारत के विकास की वृद्धि दर औसतन 15 प्रतिशत तक की हो चुकी होती और भारत की सालाना प्रति व्यक्ति औसत आय 15 लाख रूपये तक हो चुकी होती ! (वर्तमान में यह आय मात्र 80,500 रूपये है)।

भारत की 68 प्रतिशत जनता जो ग्रामीण देहातों में बसती है, और जिसकी वर्तमान में सालाना औसत आय मात्र 12,000 रूपये है, की भी यह आय 12 लाख रूपये तक पहुँच चुकी होती । भारत का प्रत्येक गाँव किसी स्वीट्जरलैंड से कम न होता।

प्रजातंत्र भारत में इन योजनाओं के क्रियान्वयन के मार्ग में पांच प्रकार की चुनौतियां आती रही है।

पहली चुनौति, तथाकथित खैख्वाह, क्षेत्रीय व राष्ट्रीय पार्टी प्रतिनिधि, जन प्रतिनिधि, देशी-विदेशी एंटी बिजनिस लाबीज, इत्यादि

दूसरी चुनौति, मुआवजा राशि; तीसरी चुनौति, बजट समस्या,

चौथी चुनौति, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के आपसी राजनैतिक सम्बन्ध, और पांचवी चुनौति, भारत का अन्य राष्ट्रों के साथ व्यापारिक सम्बन्ध व साख

उक्त नकारात्मक चुनौतियों की जड़ है :- अज्ञानता

भारत की टॉप-टू-बॉटम जनता अपने ही सर्वांगीण विकास की चारों महत्वपूर्ण योजनाओं के सन्दर्भ में वास्तविक संसार के ज्ञान से अनजान है।

भ्रांतियों एवम पूर्वाग्रहों से ग्रसित 100 करोड़ की आम जनता, कभी इसके भड़काए व कभी उसके भड़काए; चारों महत्वपूर्ण महत्वाकांक्षी योजनाओं के मार्ग में अवरोध स्वरुप दीवार बनादी जाती रही। स्वयं तो यह तक नहीं जानती कि क्या करना हितकर है और क्या नहीं! वर्ष 2009 में, चायना में, 100 परमाणु बिजलीघरों की स्थापना की घोषणा हुई और उसी वर्ष वहाँ उन पर कार्य भी हो गया था।

भारत की कृषि, इसके सहयोगी व इनसे सम्बंधित छोटी-मोटी नई-नई इंडस्ट्रीज मिलाकर भारत की सकल आय में, सालाना, 21 लाख अरब रूपये का योगदान कर सकने में सक्षम है।

डॉ. नीलम गोयल ने उक्त योजनाओं के सन्दर्भ में वास्तविक संसार के ज्ञान को वीडियो फिल्म द्वारा प्रस्तुत किया। सेमीनार में भाग लेने वाले चौथी कक्षा से लेकर बारवी कक्षा के पार्टिसिपेंट्स को सम्बंधित विषय पर रचित पुस्तिकाओं का भी वितरण किया। सेमीनार के दौरान प्रश्नोत्तरी के माध्यम से छात्र-छत्राओं का उत्साह बनाये रखा। छात्र-छात्राओं ने सम्मिलित स्वर में कहा कि "डॉ. नीलम गोयल हम सब आपके परमाणु मित्र हैं। देश की इन योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे, सच्ची मित्रता निभाएंगे"।

विद्यालय में सेमीनार के मुख्य कन्वेनेयर श्री भैरूं लाल हिरण, प्रंसीपल डॉ. शैलजा नायर सहित सभी स्टाफ ने कार्यक्रम को बहुत ही आवश्यक एवं उपयोगी बताया।

Comments


Thanks for submitting!

bottom of page