डॉक्टर नीलम गोयल भारत की परमाणु सहेली वर्तमान में गुजरात राज्य में जन-जागरूकता के कार्यों में संलग्न। प्रिन्सीपल श्री जयश गामी की अध्यक्षता में मोरबी के नालंदा सीनियर सैकण्डरी स्कूल में एक सेमीनार का आयोजन किया।
डॉक्टर नीलम गोयल ने सेमीनार में बताया कि आज भारत की प्रतिव्यक्ति औसत बिजली उपभोग क्षमता व आय की यदि चायना व विकसित देशों से तुलना करें तो भारत बहुत पीछे है।
भारत की वर्तमान में प्रतिव्यक्ति सालाना औसत बिजली उपभोग क्षमता व आय, क्रमशः, 1010 यूनिट व 88,533 रूपये है। वहीं, चायना की ये 4000 यूनिट व 1,90,000 रूपये है। फ्रांस, जापान, जर्मनी, रसिया, ब्रिटेन की यह तकरीबन 7000 से 8000 यूनिट व 12,00,000 से 15 लाख रूपये तक है। अमेरिका की प्रतिव्यक्ति सालाना औसत बिजली उपभोग क्षमता व आय, क्रमशः, 13,000 यूनिट व 28,00,000 रूपये है। डॉक्टर नीलम ने बताया कि वर्ष 2014-15 में भारत की कुल आय में कृषि का योगदान 13.3 प्रतिशत, इंडस्ट्रीज का योगदान 21.8 प्रतिशत और सर्विसेज का योगदान 64.9 प्रतिशत रहा है।
डॉक्टर नीलम गोयल ने बताया कि, भारत की अर्थव्यवस्था के, तीन आधारभूत स्तम्भ हैं- पहला, कृषि; दूसरा, उद्द्योग-धंधे व तीसरा, सेवायें। इन तीनों स्तम्भों की नींव है- ऊर्जा। इस ऊर्जा में फैक्ट्रीज के लिए आवश्यक उष्मा ऊर्जा, विद्द्युत ऊर्जा, इत्यादि शामिल हैं। भारत की चार महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं- पहली, भारत की सभी नदियों का अन्तर्सम्बन्ध; दूसरी, भारत में गाँवों को शहरों से व शहरों को राजधानियों से जोड़ते हुए राज मार्गों की स्थिर व विश्वसनीय व्यवस्था; तीसरी, भारत में प्रतिवर्ष, औसतन, 5000 यूनिट प्रति-व्यक्ति समग्र विद्ध्युत का उत्पादन व चौथी, भारत की समग्र उपजाऊ भूमि पर स्वदेशी उत्कृष्ट कृषि प्रबंधन।
इन चार योजनाओं के क्रियान्वयन के मार्ग में, मुख्यतया, निम्न चार प्रकार की चुनौतियॉं दीवारों की तरह से खड़ी रहती हैं- पहली, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध; दूसरी, अंतर्राज्यीय सम्बन्ध; तीसरी, मुआवजा राशि व चौथी, क्षेत्रीय जन-प्रतिनिधि, क्षेत्रीय पार्टी कार्यकर्ता, एंटी एक्टीविस्ट बिजनिस लाबीज, तथाकथित समाजसेवी व खैरख्वाह, इत्यादि। और इन सबकी जड़ अज्ञानता ही है। आम से लेकर खास जन में अज्ञानता की वजह से भारत में इन योजनाओं के क्रियान्वयन की गति कछुए से भी धीमी गति की है और कुछ योजनाएं तो मृत प्रायः है।
भारत के किसी भी राज्य का एवं समूचे देश का चहुँमुखी विकास इन चार महत्वपूर्ण योजनाओं के समयान्तर्गत सफल क्रियान्वयन पर निर्भर करता है।
परमाणु सहेली ने स्कूल के सभी छात्र-छात्राओं ाव स्टाफ को योजनाओं के सन्दर्भ में जागरूक करते हुए कहा कि आपके क्षेत्र में ये योजनाएं आती हैं तो आप इनके क्रियान्वयन में सकारात्मकता का वातावरण बनाये और इन योजनाओं का पूर्ण नैतिक समर्थन प्रस्तुत करें।
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