सौर ऊर्जा से भारत के प्लान के मुताबिक 1300 यूनिट प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष बिजली बननी है।
इसके लिए भारत को कम से कम 11 लाख 20 हजार मेगावाट के सौर पावर प्लांट लगाने होंगे।
इन प्लांट्स के लिए 28000 वर्ग किलोमीटर भूमि की आवश्यकता होगी और इतनी सारी भूमि यदि कृषि योग्य भूमि से लें तो यह सृजन का नहीं अपितु विनाश का रास्ता है।
इस योजना के मुताबिक भारत को अपने कुल 36000 वर्ग किलोमीटर के रेगिस्तान में से 28000 वर्ग किलोमीटर की रेगिस्तानी भूमि को सौर पावर प्लांट लगाने के प्रयोग में लाने का प्रावधान है।
सौर ऊर्जा से सतत रूप से बिजली का उत्पादन नहीं होता है। अर्थात, सौर ऊर्जा से प्राप्त बिजली न तो कार्यरत व नई-नई आने वाली इंडस्ट्रीज के लिए और न ही रेलवे के लिये आवश्यक बिजली का उत्तम, स्थिर व विश्वसनीय आधार बन सकती है।
सौर ऊर्जा पावर प्लांट अपने एक बैकप ‘पम्पड स्टोरेज हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी स्टेशंस’ के माधयम से भारत की कृषि में सिंचाई हेतु आवश्यक पानी को सम्बंधित नदियों व तालाबों व कुओं, इत्यादि से पानी को पम्पड आऊट करने के काम आएंगे।
यह योजना भी मुख्य रूप से एक पहली योजना ‘भारत की सभी नदियों के अन्तर्सम्बन्ध की योजना’ से जुडी हुई है। यदि भारत की यह पहली योजना समयान्तर्गत सफलतापूर्वक क्रियान्वित होती है, तो ही सौर ऊर्जा की अहम योजना भी आगे बढ़ेगी।
लेकिन भारत की पहली योजना ही भ्रांतियों, पूर्वाग्रहों, क्षेत्रीय नेताओं, जन-प्रतिनिधियों, तथाकथित खैरख्वाहों की वजह से विरोधों का शिकार बनी हुई है, तब, कैसे कर भारत सौर ऊर्जा योजना के सफलता पूर्वक क्रियान्वयन का दावा कर सकते हैं!!!
सबसे अहम दो बाते ओर भी हैं- सौर ऊर्जा से प्रतिवर्ष प्रतिव्यक्ति औसतन 115 यूनिट के हिसाब से भारत की पूरी जनता को बिजली मुहैया करवाने के लिए 100,000 मेगावाट के सौर पावर प्लांट लगाने होंगे जिनकी स्थापना का खर्चा 16000 अरब रूपये के बराबर होगा।
भारत की योजना के मुताबिक़ 1300 यूनिट प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष के हिसाब से सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के लिए तकरीबन 11,00,000 मेगावाट के सौर पावर प्लांट लगाने होंगे, जिनके स्थापन का खर्चा तकरीबन 1,73,000 अरब रूपये आएगा।
सौर ऊर्जा के 1000 मेगावाट के पावर प्लांट से 70 अरब रूपये से लेकर 420 अरब रूपये के बराबर के विकास में बढ़ोतरी होती है।
जो हमारे सौर पेनल्स हैं, उनसे हम कुछ किलोवाट तक की ही बिजली प्राप्त कर सकते हैं।
सौर पेनल्स हमारे घरों में, पार्क में, कार्यालयों में रोशनी देने का आधार बन सकते हैं।
लेकिन इंडस्ट्रीज और इंफ्रास्ट्रक्चर को वृहत्त मात्रा में आवश्यक बिजली हेतु तो कई हजारों मेगावाट के सतत्, स्थिर व विश्वसनीय रूप में कार्यरत पावर प्लांट्स चाहिए।
सौर प्लांट्स से सतत व स्थिर बिजली प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
और यदि इसमें जन हानि के खतरे की बात करें तो सौर प्लांट्स से इस दर की बिजली बनाने में 25000 व्यक्तियों के हताहत होने की संभावना रहती ही है।
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